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भूतिया हवेली

 



भूतिया हवेली


गांव के बाहरी इलाके में एक पुरानी हवेली खड़ी थी। गांववाले कहते थे कि उस हवेली में अजीब घटनाएँ होती थीं। रात होते ही वहाँ डरावनी आवाजें आनी लगतीं, और लोग कहते थे कि हवेली में एक बुरी आत्मा रहती है। कोई भी उस हवेली के पास जाने की हिम्मत नहीं करता था।

एक दिन, दिल्ली से एक लड़का, अमित, गांव घूमने आया। वह साहसी था और उसे ऐसी डरावनी कहानियाँ सुनने में मजा आता था। जब उसने हवेली के बारे में सुना, तो उसकी उत्सुकता बढ़ गई। उसने तय किया कि वह रात में उस हवेली का दौरा करेगा।

रात के लगभग 12 बजे, अमित अकेले हवेली की ओर चल पड़ा। हवेली दूर से ही डरावनी लग रही थी। उसकी दीवारें झुकी हुई थीं, खिड़कियाँ टूटी हुई थीं और दरवाजे पर भी जंग लग चुका था। फिर भी अमित ने हिम्मत जुटाकर अंदर जाने का फैसला किया।

जैसे ही वह हवेली के अंदर घुसा, अजीब सी ठंडक महसूस हुई। हवा में एक सड़ी हुई गंध थी। उसकी नसों में खौफ दौड़ने लगा, लेकिन वह डर को नकारते हुए अंदर बढ़ता गया। हवेली के अंदर का माहौल और भी अजीब था। दीवारों पर गीले धब्बे थे, और फर्श पर काई जमी हुई थी। अचानक, अमित को एक सीटी की आवाज सुनाई दी। वह चौंका और देखा कि सामने एक पुराना झूला हिल रहा था, लेकिन वहाँ कोई नहीं था।

अमित का दिल तेजी से धड़कने लगा। वह आगे बढ़ने की कोशिश करने लगा, लेकिन तभी उसने एक बर्फ जैसी ठंडी हवा महसूस की जो उसे और डरावना महसूस करवा रही थी। तभी अचानक एक आवाज आई, "तुम यहां क्यों आए हो?" 

अमित डरते हुए पीछे मुड़ा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। उसकी हिम्मत जवाब दे चुकी थी, फिर भी उसने सोचा कि यह सब उसकी मानसिक स्थिति का परिणाम हो सकता है, इसलिए वह और गहरे अंदर चला गया। जैसे ही वह एक कमरे में पहुँचा, उसे पुराने लकड़ी के फर्नीचर पर खून के धब्बे दिखाई दिए। और फिर, कमरे का दरवाजा जोर से बंद हो गया।

अमित घबराया हुआ बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, लेकिन दरवाजा जैसे जादू से बंद हो गया था। अचानक, उसकी आँखों के सामने दीवार पर खून से लिखा हुआ एक संदेश दिखाई दिया – "तुम यहां क्यों आए हो?"

इतना कहते ही अचानक एक चीख सुनाई दी। अमित ने देखा कि सामने एक धुंधली सी आकृति आ रही थी। वह एक महिला थी, जो सफेद साड़ी में लिपटी हुई थी, और उसका चेहरा बेहद डरावना था – आंखें बहती हुईं, चेहरा रंगहीन, और बाल बिखरे हुए थे।

"तुमने मेरी शांति छीन ली!" वह आवाज़ गूंज उठी। 

अमित काँपते हुए डर के मारे भागा, लेकिन हवेली की दीवारें जैसे घेरने लगी थीं। वह भागते हुए बाहर की ओर दौड़ा, लेकिन जब तक वह दरवाजे तक पहुँचा, वह महिला उसके पीछे थी। अमित ने जैसे ही दरवाजा खोला, उसे एक तेज ठंडी हवा ने धक्का दे दिया, और वह पीछे गिर पड़ा।

अचानक अमित की आँखें खुली। वह अभी भी अपनी कमरे में था। वह खुद को कड़ी मेहनत से बैठने की कोशिश करता है, लेकिन उसे महसूस हुआ कि कुछ गलत था। उसके हाथों में खून के धब्बे थे, और उसकी आँखों में एक धुंधली छाया थी जो उसे घूर रही थी।

क्या यह सब महज एक सपना था, या वह अब भी हवेली के अंदर था?


**सीख:**  

कभी भी किसी भूतिया स्थान पर जाने की इच्छा न रखें, क्योंकि उस स्थान की अज्ञात आत्माएँ कभी भी पीछा कर सकती हैं।

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