कभी जानकर
कभी अनजाने में
कभी होश में
कभी बेहोशी में
इकरार भी किया तो
उनका इन्कार ही मिला
जब वजह जाननी चाही
हाथ की लकीरें दिखा
मुझसे कहा
"यहाँ तुम्हारा नाम नहीं"
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