Ticker

8/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

Hindi Poem- बिदाई

 




बिदाई

 

 

गालों पर से आँसुओं को पोंछ

भीगी आँखों को रोक

उठी, उठकर चली

तश्तरी में सजा दावत

ले चली

 

बैठक में बैठे मेहमान

खुशी से बोले "स्वीकार है

यह रिश्ता हमें दरकार है"

 

बेचारी धुंधली आँखों से

कालीन को रही देखती

पल्लू संभाले

उठी, चल दी।

 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ

If you have any doubts, feel free to share on my email.