क़ैद
प्यार ने घेरा है मुझे
या मैं प्यार में घिरी हूँ
ये तो मालूम नहीं पर हाँ
ये मालूम है कि मेरी आँखों में
बस एक ही चेहरा है और
तन्हाई में भी किसी की मौजूदगी
क्या प्यार इंसान को कैद कर लेता है ?
या इंसां ख़ुद क़ैदी हो जाता है प्यार का ?
मालूम नहीं लेकिन ये एहसास
बड़ा प्यारा है जिससे मुझे प्यार है
प्यार बहुत हसीन है
प्यार बहुत रंगीन है
फिर क्यों कभी-कभी
ये प्यार हमें अंधा बना देता है ?
नीता पाठक
https://nitapathak1909-hindi.blogspot.com
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