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Hindi Poem- ख़्वाब की हक़ीक़त

 







ख़्वाब की हक़ीक़त

 

 

ख़्वाब से जो पूछो

उसकी मंज़िल कहाँ है तो

वो मासूमियत में

झूठ भी कह पाएगा

और बता भी दिया तो

यकीन लायक होगा

ख़्वाब की हक़ीक़त ये है कि

उसकी हक़ीक़त कुछ भी नहीं

पर कुछ ख़्वाब जो हक़ीक़त बने

क्या वो ख़्वाब थे ?

जो वो ख़्वाब ही थे तो

मेरा ख़्वाब पूरा क्यों नहीं होता ?

 


 

 

 

 


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