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Hindi Story- प्रतिभा

 



प्रतिभा

 

प्रतिभा बहुत ही प्रतिभाशाली स्त्री थी। वह देखने में सामान्य रूप-रंग वाली लेकिन बचपन से ही सुलझे विचारों वाली लड़की थी। उसका सामाजिक दायरा कोई बहुत बड़ा नहीं था। वह मध्यम परिवार से आई थी लेकिन अपने विद्या - बुद्धि और ज्ञान से उसने एक बहुत ही प्रतिष्ठित स्कूल में शिक्षिका की नौकरी प्राप्त की। वह अपने आपको बहुत खुश किस्मत मानती थी कि छत्तीसगढ़ जैसी जगह से निकल कर उसे खुद की योग्यता के बलबूते पर इतने बड़े स्कूल में नौकरी करने का मौका मिला। छात्र - छात्राएँ भी उसे बहुत पसंद करते थे। वह भी पूरी लगन से बच्चों को पढ़ाती थी।

 

प्रतिभा की अच्छी नौकरी और तनख्वाह के चलते उसकी शादी के लिए कई रिश्ते आने लगे। उसके माँ-बाप ने उसके लिए ग्वालियर का एक लड़का पसंद किया और उसकी शादी कर दी। प्रतिभा अपनी आँखों में खूबसूरत शादीशुदा ज़िंदगी के हज़ारों सपने सँजोय अपने घर से विदा हुई। लेकिन शादी के पहले हफ्ते में ही उसे वो सपने टूटते हुए दिखने लगे। शादी के पन्द्रहवें दिन ही एक मामूली सी बहस में ही उसके पति ने गुस्से में उसे ज़ोरदार थप्पड़ जड़ दिया। एक बार तो उसे समझ ही नहीं आया कि यह क्या हुआ। लेकिन उसके पति ने कुछ देर बाद ही उससे माफ़ी माँगी कि गुस्से में गलती हो गई। प्रतिभा ने भी अपने पति को माफ़ कर दिया। लेकिन ऐसा नहीं था कि उसके बाद वह खुशी-खुशी रहने लगी। एक महीना पूरा होते-होते प्रतिभा को समझ आने लगा कि उसके पति की अपने माता-पिता और भाई-बहन से नहीं बनती थी। वह छोटी- छोटी बातों पर गुस्सा हो जाता था और चीखने-चिल्लाने लगता था। शुरुआत में उसे लगा कि शायद ऑफिस में किसी काम की वजह से उसका पति परेशान है। लेकिन जैसे -जैसे समय बीतने लगा प्रतिभा को समझ आने लगा कि उसके पति का व्यवहार बहुत ही अजीब था।

 

एक दिन प्रतिभा को पता चला की उसके पति ने नौकरी छोड़ दी थी और वो उसके ऊपर ही पूरी तरह से निर्भर हो गया। शुरुआत में उसे लगा की शायद नौकरी में कुछ मुश्किल रही होंगीऔर जल्द ही वह कोई कोई नौकरी धुंध ही लेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वो नौकरी करना ही नहीं चाहता था। रोज़ के लड़ाई-झगड़ों के चलते उसका जीना दूभर हो चुका था लेकिन वो सब सहती जाती थी। उसे लगने लगा कि शायद बच्चे के जाने से सब बदल जाएगा। उसका पति भी ज़िम्मेदार बन जाएगा। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

 

वो प्रेगनेंट थी लेकिन उसे अपने पति से तो प्यार ही मिलता था ना ही कोई सहारा। वह तो अपनी ही धुन में रहता था। सारा दिन खाना-पीना और सोना बस यही उसकी दिनचर्या थी। प्रतिभा सुबह नाश्ता और दोपहर का खाना बना कर जाती। स्कूल से आकर किचन और घर की सारी साफ़-सफाई करती, कपडे धोती, सब्ज़ी लाती और घर बाहर के सारे काम करती। उसका पति उसके पैसों पर ऐश करता और घर में रोज़ कलह-क्लेश करता। प्रतिभा के कुछ भी कहने पर उसे बुरी तरह से मारता-पीटता। प्रतिभा को वह अपने घर वालों से भी ज्यादा बात नहीं करने देता था। वह अपने माँ-बाप को भी कुछ नहीं बता पाती थी कि उन्हें दुःख होगा। उसकी ससुराल वाले तो कभी फ़ोन तक नहीं करते थे। प्रतिभा अपनी सहेलियों के आगे भी अपना दुखड़ा नहीं रो सकती थी क्योंकि उसका पति उसका फ़ोन छीन लेता था। उसके दो-तीन मोबाइल भी पटक कर तोड़ चुका था। प्रतिभा की मकान मालकिन सब देख-समझ रही थी लेकिन वो उनके मामले में कुछ नहीं कहती थी। 

 

प्रतिभा भी अपने पास- पड़ोस में अपनी इज़्ज़त बनाए रखने के लिए अपने पति के ज़ुल्मों को खुलकर ज़ाहिर नहीं होने देती थी। लेकिन एक दिन तो हद ही हो गई थी। प्रतिभा सात महीने की प्रेगनेंट थी लेकिन शारीरिक और मानसिक शोषण रोज़ सह रही थी। एक दिन उसके पति ने उसे इतना मारा कि उसका सिर फोड़ दिया और उसे इतने ज़ोर से धक्का मारा कि वह पेट के बल ज़मीन पर गिर पड़ी। प्रतिभा दर्द में तड़प रही थी और उसका पति वहाँ से भाग गया था। प्रतिभा की चीखें सुनकर उसकी मकान मालकिन आई और उसे ले जाकर तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट करवाया।

 


प्रतिभा की जब आँख खुली तब उसे पता चला कि उसका बच्चा मर चुका था और उसकी आँख और दिमाग की एक नस भी डैमेज हो चुकी थी जिसकी वजह से समय के साथ उसे कम दिखना शुरू हो जाएगा और उसके हाथ-पाँव में झनझनाहट हो सकती है या लकवा भी हो सकता है और कभी भी स्ट्रोक सकता है। उस पर वज्रपात तब टूटा जब उसे पता चला कि अब वो कभी भी माँ नहीं बन सकती थी।

 

इस स्थिति में वह अपने पति की वजह से ही पहुँची थी। हर औरत जो अपने घरवालों के या पति के ज़ुल्मों को ये सोचकर सहती रहती है कि एक एक दिन वो बदल जाएँगे, तो ऐसा वास्तव में नहीं होता है। उसके अजन्मे बच्चे की मौत के साथ ही प्रतिभा के दिल में उसके शादीशुदा जीवन की भी मौत हो गयी थी।अचानक से ही उसमें अदम्य साहस गया कि अब वह और नहीं सहेगी। उसने अपनी सहेली और मकान मालकिन को सभी बातें बताईं। उन्होंने उसे एक वकील का नंबर दिया। प्रतिभा ने अपने जर-जर हुए व्यक्तित्व को समेटा और डिवोर्स केस फाइल किया और अपने ससुराल के पते पर भेज दिया  उसका पति भागकर अपने माँ-बाप के पास चला गया था क्योंकि कहीं और जाता तो कौन खिलाता-पिलाता। उसे कामकाज करना पड़ता जो वो करना ही नहीं चाहता था। प्रतिभा के पति ने रोज़ उसे धमकियाँ देना शुरू किया, उसे डराया-धमकाया और जान से मारने तक की बात कही। तब प्रतिभा ने वकील के कहने पर पुलिस स्टेशन में अपने पति के खिलाफ रिपोर्ट की। उसका पति बहाने बनाकर उसे परेशान करने लगा और केस वापस लेने का दबाव बनाने लगा। लेकिन ये जो प्रतिभा थी वो पहले वाली प्रतिभा नहीं थी।

 

उसके बच्चे की मौत के साथ ही प्रतिभा का दूसरा जन्म हो गया था। उसने शोषण के आगे झुकने का फैसला किया। प्रतिभा ने अपनी डिवोर्स की लड़ाई को जारी रखा और अपनी पिछली नौकरी को छोड़ कर वह सिल्वासा में ही एक छोटे से मकान को खरीदकर रहने लगी और वहीं के स्कूल में बच्चों को पढ़ाने लगी। उसने गरीब बच्चों को मुफ़्त ट्यूशन देकर आगे बढ़ाया। अपनी कमाई का एक हिस्सा वह स्कूल के गरीब बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करने लगी। प्रतिभा की असली प्रतिभा खुद को निखारने में थी, जो रंग लाई।

 

 


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