Best Hindi Poems- 2023
पैग़ाम
ठंडी हवा का झोंका
छू कर तेरे दामन को
जब गुज़रा मेरे करीब से
हुआ एहसास छुअन का
रोम रोम सिहर उठा
मेरे होंठ खुले
चाहा तुम्हें कोई पैग़ाम दूँ
मगर
हवा का झोंका चला गया
किसी और के दामन को छूकर
किसी और को पैग़ाम देने।
पानी
पानी तेरी तकदीर कैसी
सभी को ज़रूरत है तेरी
लेकिन--
तुझे कोई नहीं जानता
सभी तुझे शांत देखते हैं
लेकिन--
तेरे अंदर कितने तूफ़ान हैं
और कितनी लहरें
कौन जानता है ?
तितलियाँ
तुम लोग तो तितलियाँ हो
अपनी अदाओं से
मन ललचाया
और
हाथ बढ़ाने पर
दूर उड़ गए
हम मासूम बच्चे हैं
पीछे - पीछे दौड़ते
हैं
लेकिन
जिनके हाथ
खाली ही रह जाते हैं।
चाँद
तेरा चेहरा नज़र आया
ख़्याल आया कि
उसमें भी दाग़ है
तेरी वफ़ा की तरह
तू भी चमकता है औ
तेरा भी दिल ठंडा है
उसी की तरह
मील का पत्थर
एक मील का पत्थर
महत्तवपूर्ण
लेकिन बेचारा
कितना अकेला
न संगी, न कोई साथी
दूर तक कोई नहीं
सिर्फ अकेलापन
सूनापन।
मजबूर पंछी
उड़ना चाहता है
लाख कोशिश करता है
लेकिन
बेकार ही
पिंजरा उसे नहीं छोड़ता
क्या ऐसा नहीं हो सकता
कि पिंजरा टूट जाए
और वो आज़ाद हो जाए
या फिर
पिंजरा सहित उड़ जाए
क्या है मेरी मंज़िल ?
मगर है कुछ उसके बराबर ही
क्या है मेरी मंज़िल ?
मुझे खुद मालूम नहीं
हर ऊंची उड़ान मंज़िल नहीं
हर ऊंचा ख़्वाब राह नहीं
तो फिर कैसे तय करूँ
कि क्या है मेरी मंज़िल?
किसी सरपरश्त का जो साया होता
तो मैंने भी अपनी
मंज़िल का पता पाया होता।
शमां
सहर के उजाले ने उसका वजूद मिटाया
परवाना तो पल में राख़ हुआ जल कर
मगर
शमां को फिर जलना है
और फिर बुझना
उसकी तक़दीर में रात ही है
तन्हाई, जुदाई और सुलगने की
मर- मरकर जीने की।
दुआ
मैंने झोली फैला दी दुआ के लिए
माँगा खुदा से आँसुओं का समंदर
माँगा हर आँख का पानी
मांगी हर ग़म की कहानी
जिसे पाकर मैंने कुछ और न माँगा
सबकुछ पा लिया इस दुआ के बाद।
ज़ख़्मों की ज़ुबाँ
ज़ख़्मों की ज़ुबाँ
क्या है
ये मुझसे मत पूछ
पूछ उस आबलापा से
जो काँटों की प्यास
बुझाए
जो न बन पाए उससे
तो
दे मुझको ज़ख़्म अपने
मुझको तो आदत है
काँटों से खेलने की
हर हालात में अपने
तन को
काँटों से सजाने की
मुझको तो बस आदत है
ज़ख़्मों की ज़ुबाँ
सुनने की
नया साल
नया साल तुम्हारी ज़िंदगी में
कुछ इस तरह आए
तुम्हारा हर सपना
अच्छा और साकार हो जाए।
नया साल बहार बनकर आए
पुराने सारे ग़मों को
पीछे बहा ले जाए।
तुम्हारी छवि लोगों पर
कुछ इस कदर छाए
कि सबकी ज़ुबाँ पर
'नीता' नाम ही आए।
जो तुम्हें अपनी मुराद मिल जाए
तो शायद कभी
मेरी भी याद आ जाए।
1 टिप्पणियाँ
All the poems are heart touching.
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