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तन्हाई

तन्हाई (Hindi Poem)

तन्हाई

 

दूर कहीं शहनाई बजती है

मेरी तन्हाई और सजती है

 

याद आती हैं वो रातें

जब चाँद तकता था सजीली धरती को

दुल्हन-सी लजाकर वो हँसती थी

 

घोंसलों में पंछी के जोड़े

गाते थे मधुर तराने

यूँ खुशहाली में उनकी बसर होती थी

 

याद आते हैं वो सुहाने दिन

जब ज़र्रा-ज़र्रा आफ़ताब हुआ जाता था

और हवा हर सनम की

ठोड़ी चूम जाती थी

 

याद है मुझको वो तालाब का किनारा

जहाँ हम मिला करते थे

दूर कहीं जब शहनाई बजती है

ऐसे में मेरी तन्हाई और सजती है।

 

 


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