याद
तेरा हर निशां
मिटा दिया
मगर तेरी याद
नहीं मिटती
रह- रहकर तेरी
ग़मनाक तस्वीर
मेरी आँखों में
है और बसती
जिसे मिटा सकना
मुमकिन नहीं
और सुला देना भी
नाकामयाब
शायद ऐसा कुछ है
ही नहीं
जो तुझे मुझसे और
मुझे तुझसे
जुदा करने की
ज़ुर्रत कर सके
ज़िन्दगी मेरी
बेहिस हुई जाती है
बेरूह कमरे में
तेरी आवाज़ के
औ आईने में तेरी
तस्वीर के
सिवा मुझे कुछ
महसूस नहीं होता
सिवा तेरी डूबती
साँसों के
तेरी खुली हुई
आँखों के
जिससे रूह बाहर आ
चुकी है
तेरा ख़ूबसूरत
चेहरा
जिसे चूमने को
मेरे होंठ फड़कते
हैं
मग़र--
तेरा बेजान सिर
कोई हरक़त नहीं
करता।
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