मिलन
आसमां चला है बादलों का कारवाँ लिए हुए
चाँद ने चाँदनी से कहा चलो हम भी चलें
काले बादलों के पीछे छिपकर
मोहब्बत की दो बातें करें
हवा कहती है पेड़ों से
चलो हम भी खेलें
हिल-डुलकर गले मिलें
कश्ती कहती है नदी से
चलो हम भी बहें और बहते रहें
इस ख़ूबसूरत मौसम में
चलते रहें और चलते चलें
इन हसीन नज़ारों में
हम ही रहें बस हम ही रहें
मिलन की आज घड़ी में
लब ख़ामोश रहें और कुछ भी न कहें
अश्क़ों की ज़ुबाँ ही शामिल हो
और दुनिया को तुम रहने दो।
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