वही तस्वीर
वही फ़िज़ा है वही है महफ़िल
फ़र्क़ कुछ है तो मेरी ज़िन्दगी में
अब वो निगाहें रहीं नहीं मेरी
देखते ही उनको जो झुक जाती थीं
अब वो बाहें रहीं नहीं मेरी
देखते ही उनको जो फ़ैल जाती थीं
अब तो साँसों में कड़वाहट लिए
जिए जा रही हूँ बेलुत्फ़ ज़िन्दगी मैं
वही फ़िज़ा है वही है महफ़िल
कुछ नहीं है तो तुम्हारी वफ़ाएँ
तुम्हारी वफ़ा की वो ताज़ी ख़ुशबू
जिससे महकता था मेरे दिल का गुलशन
वही फ़िज़ा है वही है महफ़िल
आज भी है वही पुराना पतझड़
जो था उस कल के दौर में
फ़र्क़ कुछ है तो मेरे ख़्यालों में
वो वक़्त लगता था कितना सुहाना
आज सबकुछ है बोझिल-बोझिल
वही फ़िज़ा है वही है महफ़िल
तुम्हारी याद की ताज़गी वही है।
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