आकाश के परे
नीले आकाश के परे
एक और आकाश है
जिसे मेरी आँखों ने देखने की
ढूंढने की हमेशा कोशिश की है
कैसी है वो दुनिया और
कैसा है उस आकाश का रंग ?
ये कुछ सवाल हैं जो मेरे ज़हन
से टकराकर प्रतिध्वनि करते हैं
क्या वहाँ भी कोई पंछी उड़ता होगा ?
क्या वहाँ भी कोई सूरज चमकता होगा ?
कैसे होंगे वहाँ के लोग ?
यकीनन हमारी दुनिया से बेहतर होंगे
भाई अपने ही भाई को नहीं मारता होगा
इंसान-इंसान के चिथड़े तो नहीं उडाता होगा
मोहब्बत के वायदे झूठ औ
धोखे में तो नहीं बदलते होंगे
नीले आकाश के परे
जो एक और आकाश है
कैसा है वो ?
कैसे हैं वहाँ के लोग ?
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