महबूब का पता मुझसे ग़र कोई पूछे मेरे महबूब का पता कहूँगी रहता है गुलशन की फ़िज़ाओं में महकाता है फूलों को बसकर हवाओं में मुझसे ग़र कोई पूछे मेरे …
और पढ़ेंमैं ..... मैं एक मासूम फूल हूँ जिसे वक़्त के बेरहम हाथों ने मसलकर फेंक दिया है उस ज़मीन पर जहाँ सिर्फ़ आँसू और आहों …
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