फ़ैसला
"हाल वक़्त के अब्रों के साथ
तेज़ी से उड़ता रहा
और माज़ी बन गया
पर माज़ी मरा नहीं
वो मेरे साथ-साथ चला
माज़ी मेरे हर फ़ैसले में शामिल हुआ
औ जब इसे भूलना चाहा तो
मेरा (आज) हाल, बेहाल हो गया
माज़ी का साया हाल पर है
औ हाल का साया आने वाले हाल पर"
नीता पाठक
https://nitapathak1909-hindi.blogspot.com
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